जो मुरली की टेर सुनाए,
सबके उर में प्रेम जगाए।
गोपियों के चित्त चुराकर,
कुंज-निकुंज में छुप जाए।
जिसमें संसार विभोर है,
वो कृष्ण है, माखनचोर है।
जो कालों के भी काल है,
देवकी-सुत पर नंदलाल है।
जो हर बेड़ियों को तोड़कर,
दिखाए प्रेम-रस कमाल है।
जिनकी लीलाएँ बेजोड़ हैं,
वो माधव है, माखनचोर है।
जो रखते हैं अनेक नाम,
कभी राम तो कभी श्याम।
जिनके हर रूप निराले हैं,
एक आदर्श कर्म निष्काम।
जिनकी गाथाएँ चहुँओर हैं,
वो मोहन है, माखनचोर है।
जो हर राग, हर तत्व है,
अखिल जहाँ का सत्व है।
जिनकी बंसी-धुन के बिना
कण-कण-मात्र निःसत्व है।
जो सभी जीवों की डोर है,
वो गोपाल है, माखनचोर है।
4 Comments
Very good.
ReplyDeleteThank you. Read all contents and let us know your valuable remarks.
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआभार। सभी रचनाओं को पढ़कर अपनी मूल्यवान टिप्पणी दें।
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