घने तिमिर के पल में, दीपशिखा रखी मान| गर्म लहू की छीटें से, रचित हुआ संविधान| दीप की वो अमर लौ, पुकार-पुकार कर कहे, अमर रहे! अमर रहे! 26 जनवरी अमर र…
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