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26 जनवरी अमर रहे

 घने तिमिर के पल में,

दीपशिखा रखी मान|

गर्म लहू की छीटें से,

रचित हुआ संविधान|

दीप की वो अमर लौ,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे|


शहीदों के हुंकार से,

टूटी थी जमी ज़ंजीर|

अंग्रेजों से मुक्ति को,

बलिदान दिए वे सिर|

लहू का कतरा-कतरा,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे|


वीरों के बलिदानों से,

स्वतंत्र हुए हैं हम|

अपनी अस्मिता खो,

वर्षों दृग किये हैं नम|

सपूतों की अमरगाथा,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे|


तीन रंगों की पट्टियाँ,

भारतवर्ष की पौरुष शान|

केसरिया जिनमें ऊपर,

अदम्य शौर्य की पहचान|

केसरिया की हर छीटें,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे


सफेद पट्टी सबके बीच 

फैलाती धर्म सत्य शांति|

चक्र अथक चल-चलकर,

कर रहा गतिशील क्रांति|

गतिमय सतत तिल्लियाँ,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे|


लहराती हरियाली पट्टी,

गाथा गा रही मिटटी की|

उर्वर निर्मल सोंधी मिटटी,

धड़कन है इस क्षिति की|

सोंधी मिटटी के वे कण,

पुकार-पुकार कर कहे,

अमर रहे! अमर रहे!

26 जनवरी अमर रहे|


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