सर्वत्र घनघोर है अंधेरा, जल रहा है दीपक मेरा| इस दीपक के ओज से अमावस मात खाई है, देख, दिवाली आई है| गांव-गांव अरु नगर में, प्रदीप्त है दीप हर डगर में…
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