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ब्रज में आई होली है

बसंती-बयार है बह रहा,

फ़िज़ाओं में उड़े गुलाल|

औ' नंदग्राम में राधा संग,

होली खेले नन्द के लाल|

अबीरों से भरी झोली है,

ब्रज में आई होली है|


झांझ मजीरों के नाद से,

सर्वत्र व्याप्त है उल्लास|

सातों रंगो से तन भीगा,

राधा को है तो भी प्यास|

बिखरा प्रमद रंगोली है,

ब्रज में आई होली है|


नभ से आज बरसे रंग,

नाचे श्याम पीकर भंग|

ग्वालों की पिचकारियों से,

गोपियों के भीगे अंग-अंग|

मृदंग को तरंग मिली है,

ब्रज में आई होली है|


फागुन बैठा है देहरी पर,

फाग उड़ा रहा है बहार|

तू भी थिरक ले जितेन्द्र,

द्वार है होली का त्यौहार|

नुपुर-गूंज गली-गली है,

ब्रज में आई होली है|


गीले-शिकवे सब भूल,

चलो प्रीति-भोज बनाए|

बैर-भाव सब मिटाकर,

भाइयों को गले लगाए|

सतरंगी बौछार चली है;

ब्रज में आई होली है| 


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