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सत्यलोक से आओ माँ

कर लो हंस की सवारी,

वीणा-राग सुनाओ माँ|

बसंती रुत है मस्तानी,

सत्यलोक से आओ माँ|


गुमसुम है हमारी आवाज़,

पर दो हमें औ' दो परवाज़|

आप हर सुरों की देवी हैं,

लगा दो अल्फ़ाज में साज़|

उर-स्पंदन बन जाओ माँ,

सत्यलोक से आओ माँ|

कर लो हंस..........!


आप ज्योति पुंज हो माँ,

तम कैसे हो रहा सबल?

प्रकाश-कण बिखेरकर

प्रदान करो शिव कल|

सत का मर्म बताओ माँ,

सत्यलोक से आओ माँ|

कर लो हंस..........!


संसार चेतनाशून्य हो रहा,

सर्वत्र छा रहा जघन्य पाप|

मानस में नई ज्योति भरो,

गोचर अगोचर सब हैं आप|

हर सिम्त को जगाओ माँ,

सत्यलोक से आओ माँ|

कर लो हंस..........!




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