झूठ फ़रेब
यहाँ सब स्वीकार,
सच शिकार।
इस दौर में
किसपे एतमाद,
धूर्त आबाद।
धर्म की आड़
है कुकर्म दुराव,
बेदर्द घाव।
मुख मुखौटा
पहचान मुश्किल,
उर पंकिल।
कलिकाल है
रंगी राम रहीम,
कहे करीम।
झूठ फ़रेब
यहाँ सब स्वीकार,
सच शिकार।
इस दौर में
किसपे एतमाद,
धूर्त आबाद।
धर्म की आड़
है कुकर्म दुराव,
बेदर्द घाव।
मुख मुखौटा
पहचान मुश्किल,
उर पंकिल।
कलिकाल है
रंगी राम रहीम,
कहे करीम।
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