इस क्षणिक जिंदगी में,
बदलाव जरूरी है।
वजूद को कभी धूप तो,
कभी छाँव जरूरी है।
ऐ समीर, रुक मत,
तू चल क़यामत तक।
अपने अतीत से,
कुछ लेकर सबक।
धीरे धीरे ही सही,
तुम्हें जाना है वहीं।
भले अभी कुछ बातें,
रह जाती हैं अनकही।
तू खुद को संभाल,
यूँ हथियार न डाल।
वक्त का इंतज़ार कर,
औ' जारी रख चाल।
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